राजस्थान हाई कोर्ट ने 13 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को 27 सप्ताह की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दी है. 10 मार्च को दिए इस आदेश में जस्टिस सुदेश बंसल (Justice Sudesh Bansal) नेकहा गया कि यदि गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति नहीं दी गई, तो इससे पीड़िता की मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. राजस्थान हाई कोर्ट का यह आदेश मेजिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद आया, जिसमें कहा गया था कि 27 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था को समाप्त करना "उच्च जोखिम सहमति" (Under high risk Consent) के तहत किया जा सकता है. अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता एक नाबालिग लड़की और रेप विक्टिम है, उसके माता-पिता अपनी सहमति देने के लिए सहमत हैं.
राजस्थान हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि अनचाही गर्भावस्था को समाप्त नहीं किया गया, तो इससे याचिकाकर्ता के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट पहुंच सकती है. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि बच्चे के जन्म से उसे जीवनभर पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है. अदालत ने कहा कि बलात्कार पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति 1971 के अधिनियम की निर्धारित प्रावधानों के बावजूद दी जा सकती है, यदि मामले की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाए.
राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा,
"बलात्कार पीड़िता के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति 1971 के अधिनियम, 2021 के संशोधित अधिनियम के निर्धारित प्रावधानों से परे, व्यक्तिगत मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए दी जा सकती है."
अदालत ने महिला चिकित्सालय, सांगानेरी गेट, जयपुर के अधीक्षक को आदेश दिया कि वे गर्भावस्था समाप्त करने के लिए उचित व्यवस्था करें, बशर्ते कि माता-पिता की उच्च जोखिम सहमति हो. यदि भ्रूण जीवित पाया गया, तो अस्पताल को सभी आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान करनी होगी. वहीं, अगर भ्रूण जीवित नहीं पाया गया, तो अदालत ने कहा कि भ्रूण से ऊतकों को निकालकर डीएनए परीक्षण के लिए साक्ष्य को सुरक्षित रखने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए.